भारत में इनकम टैक्स रिटर्न्स भरना हमेशा से ही टेढी़ खीर माना जाता रहा है लेकिन नोटबंदी और नए आयकर कानूनों के बाद इसे लेकर लोगों में और भी ज्यादा भ्रम है। वित्त मंत्रालय और आयकर विभाग ने करदाताओं की सुविधा के लिए इनकम टैक्स रिटर्न्स (आईटीआर) फॉर्म को पहले से आसान बना दिया है। सबसे बड़ी दुविधा यही है कि किसी टैक्स रिटर्न भरना चाहिए किसे नहीं। जिन लोगों की सालाना आय इनकम टैक्स छूट की थोड़ी-बहुत अधिक होती है वो इसे लेकर खास गफलत में रहते हैं। कुछ लोगों को लगता है कि चूंकि उनकी आय पर टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) कट चुका है इसलिए उन्हें आईटीआर भरने की जरूरत नहीं है।
1- इनकम टैक्स रिटर्न किसे भरना है, किसे नहीं? – सरल शब्दों में कहें तो आयकर कानून के अनुसार जिस किसी की भी कुल कर योग्य आय छूट की सीमा से अधिक है उसे आईटीआर भरना चाहिए। सामान्य नागरिक को 2.5 लाख रुपये सालाना आय तक टैक्स छूट है यानी एक साल कुल इतनी आय वाले नागरिकों को आईटीआर भरने की जरूरत नहीं है। वरिष्ठ नागरिकों (60 से ऊपर) को तीन लाख रुपये की सालाना आमदनी पर टैक्स छूट प्राप्त है। वहीं अति-वरिष्ठ (80 साल से अधिक) उम्र के नागरिकों को पांच लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट प्राप्त है।
याद रहे कुल कर योग्य आय में एचआरए, भत्ता और एलटीए इत्यादि के मद में मिलने वाला राशि नहीं जोड़ी जाती है। लेकिन 80-सी, 80-डी, 80-टीटीए के तहत मिलने वाली छूट की राशि जोड़ी जाती है। मान लीजिए आपकी सालाना आय तीन लाख रुपये है। आपको एचआरए एवं अन्य भत्तों के तौर पर 20 हजार रुपये मिलते हैं। वहीं 40 हजार रुपये आपने 80-सी के तहत मिलने वाले छूट के तहत जमा कर रखे हैं। आपके सालाना तीन लाख रुपये में से 20 हजार निकाल दें तो भी आपकी कुल आय हुई 2.80 हजार रुपये यानी आपकी कुल आय टैक्स छूट की सीमा से अधिक हुई इसलिए आपको आईटीआर भरना होगा।
2- आईटीआर भरना है तो?- अगर आपको आईटीआर भरना है तो अगला जरूरी कदम आपकी आय पर काटे गए टैक्स की जांच करना है। अगर आप नौकरी करती हैं तो आपकी उपभोक्ता कंपनी आपकी आय पर काटे गए टैक्स का विवरण फॉर्म 16 में देती है। ऑनलाइन अपने पैन खाते में जाकर फॉर्म 26-एएस देख सकते हैं कि किन अन्य मदों में आपका किस मद में कितना टैक्स काटा गया है। अगर किसी ने आपसे टैक्स काटा है लेकिन पैन खाते में उसका विवरण नहीं है तो इसका मतलब उसने इसका ब्योरा आयकर विभाग को नहीं दिया है। इनकम टैक्स आईटीआर भरे जाने के बाद आपके द्वारा दी गई सूचना का फॉर्म 26-एएस में दी गई राशि से मिलान करता है।
3- कौन सा फॉर्म चुनें?- आईटीआर भरने से जुड़ी बड़ी मुश्किल इसके लिए उचि फॉर्म के चुनाव की भी है। आम तौर पर लोग समझ नहीं पाते कि उन्हें कौन सा फॉर्म भरना चाहिए और गलत फॉर्म भरने के कारण कई बार उन्हें परेशान होना पड़ता है। हम आपको फॉर्म के चयन के बारे में बेसिक बातें बता रहे हैं। आईटीआर फॉर्म को लेकर दुविधा की स्थिति में किसी जानकार या विशेषज्ञ से उचित फॉर्म के बारे में पूछ लें।
आईटीआर 1 या सहज- सैलरी या पेंशन से होने वाली आय, एक घरेलू संपत्ति से होने वाली आय, ब्याज इत्यादि से होने वाली आय के लिए इस फॉर्म का प्रयोग करते हैं। अगर आप की कुल आय 50 लाख रुपये सालाना से ज्यादा है। आपके पास विदेशी संपत्ति है। कृषि आय से होने वाली आय पांच हजार रुपये से ज्यादा है। अगर आप कारोबारी हैं। अगर आप एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी से कमाते हैं तो इस फॉर्म का प्रयोग न करें।
आईटीआर-2- सैलरी या पेंशन से होने वाली आय, घरेलू संपत्ति से होने वाली आय, ब्याज इत्यादि से होने वाली आय, विदेशी संपत्ति में साझेदारी, पांच हजार रुपये से अधिक की सालाना कृषि आय। अगर आपका कारोबार है या आप स्वतंत्र पेशेवर हैं तो इसे न भरें।
आईटीआर-3- किसी व्यक्ति या अविभाजित हिंदू परिवार के सदस्य को कारोबार, पेशे से होने वाली आय के लिए ये फॉर्म भरना होता है। इसमें हाउस प्रॉपर्टी, सैलरी, पेंशन और दूसरे स्रोतों से होने वाली आय भी शामिल होती है। अगर आपने पूर्वानुमानित टैक्स भरने का विकल्प चुना है तो इस फॉर्म का इस्तेमा न करें।
4- नोटबंदी में पैसे जमा किए हैं – अगर आपने नोटबंदी के बाद दो लाख रुपये से ज्यादा की राशि अपने बैंक खातों में जमा की है तो आपको अपने आईटीआर में इसकी जानकारी देनी होगी। इनकम टैक्स ने पहले ही नोटबंदी के बाद बैंकों में नकद जमा करने वालों से जुड़े ब्योरे (नाम, पता और पैन) इकट्ठा कर लिए हैं। अगर आप द्वारा भरे गए आईटीआर और इनकम टैक्स की जानकारी में कोई विसंगति नजर आएगी तो आपके घर नोटिस पहुंच सकती है। किसी तरह का गड़बड़ी पाए जाने पर 50 प्रतिशत से 200 प्रतिशत तक का जुर्माना लग सकता है।
5- सावधि जमा के ब्याज पर कर- करदाताओं अक्सर इसे लेकर भ्रमित रहते हैं कि सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट) टैक्स छूट मिलने का मतलब उस पर मिलने वाला ब्याज भी कर मुक्त होता है। 80-सी के तहत सावधि जमा पर टैक्स छूट है लेकिन फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर कर छूट नहीं है। यानी आपने जितने भी फिक्स्ड डिपॉजिट या किसान विकास पत्र इत्यादि 80-सी के तहत लिए हैं उन पर मिले ब्याज का अपने आईटीआर में ब्योरा दें।
6- आधार कार्ड और पैन- अगर आपके पास आधार कार्ड है तो आईटीआर में इसका विवरण जरूर दें। सुप्रीम कोर्ट ने केवल उन लोगों को आधार संख्या देने से छूट दी है जिनके पास ये नहीं है। अगर आपके पा आधार है और आपने अपने पैन से इसे नहीं जोड़ा है तो ये कानूनी अपराध होगा।
7- नौकरी बदली है- अगर आपने नौकरी बदली है तो आईटीआर में पिछली कंपनी से होने वाली आय को बताना कत्तई न भूलें। कंपनियां अनुमानित आय के आधार पर टीडीएस काटती हैं लेकिन आखिरकार आपकी साल की कुल आय के आधार पर ही आपकी टैक्स देनदारी तय की जाएगी।
8- विदेशी खाता और विदेशी संपत्ति धारक- आपके पास कोई भी विदेशी बैंक खाता है तो इसकी जानकारी जरूर दें। अगर आप किसी विदेशी संपत्ति की प्रत्यक्ष या परोक्ष लाभार्थी हैं तो इसकी जानकारी जरूर दें।
9- 50 लाख रुपये सालाना से ज्यादा आय- अगर आपकी सालाना आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है तो आपको आईटीआर भरने में ज्यादा मशक्कत करनी होगी। आपको अपनी समस्त भौतिक संपत्तियों का ब्योरा आयकर विभाग को देना होगा। आपको अपनी समस्त वित्तीय संपत्तियों के बारे में भी आयकर विभाग को बताना होगा।
10- अंतिम तारीख का रखें ख्याल- आईटीआर 31 जुलाई से पहले भरें। ऐसा न करने पर आप पर पांच हजार रुपये तक तक का जुर्माना लग सकता है। आयकर विभाग पहले पिछले दो सालों का आईटीआर भरने की सुविदा देता था लेकिन अब बदले हुए नियमों के तहत पिछले एक साल का आईटीआर ही भरा जा सकता है।
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