हिंदी फिल्मों के हीरो के तमाम गुणों को समेटे टाइगर श्रॉफ ने जब पहली बार सिल्वर स्क्रीन पर दस्तक दी थी, तो मासूम चेहरे के कारण उनकी सफलता पर शक किया गया, मगर जैसे ही पहली ही फ़िल्म ‘हीरोपंती’ में टाइगर की प्रतिभा की पोटली खुलनी शुरू हुई, सबकी आंखें खुली रह गयी। टाइगर ने शानदार अभिनय, जोरदार डांस और दमदार एक्शन से सबको अपना मुरीद बना लिया। सिर्फ तीन फ़िल्म पुराने टाइगर आज नयी पीढ़ी के भरोसेमंद स्टार कलाकार बन चुके हैं।
पृष्ठभूमि
फ़िल्मी पृष्ठभूमि में पले-बढ़े होने के बावजूद कभी स्टार-सन होने का गुरुर उनमें नहीं आया। इसकी वजह उनकी परवरिश है। पिता जैकी श्रॉफ के बिंदास व्यक्तित्व की छत्रछाया में टाइगर का बचपन बीता। टाइगर का मौलिक नाम जय हेमन्त श्रॉफ़ है। मुम्बई के अमेरिकन स्कूल ऑफ बॉम्बे और एमिटी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद टाइगर ने फिल्मों में प्रवेश के लिए खुद पर मेहनत करना शुरू किया। मार्शल आर्ट में टाइगर की विशेष रुचि है। जिम्नास्टिक में भी वे पारंगत हैं। जिम्नास्टिक पृष्ठभूमि होने के कारण वे हमेशा चुस्ती-फुर्ती और ऊर्जा से भरे रहते हैं।
प्रवेश
हिंदी फिल्मों में प्रवेश के लिए टाइगर काफी पहले से तैयार थे, इसलिए उनके डेब्यू को लेकर कयासों का बाज़ार अर्से से गर्म था। कभी कहा गया कि टाइगर धारावाहिक ‘फौजी’ के रीमेक से डेब्यू करेंगे, तो कभी सुभाष घई के ‘हीरो’ के रीमेक से टाइगर के डेब्यू की बात कही गयी।..मगर टाइगर ने अपनी डेब्यू फ़िल्म के रूप में साजिद नाडियाडवाला की ‘हीरोपंती’ को चुना। पहली ही फ़िल्म में टाइगर ने अभिनय, नृत्य और एक्शन का ऐसा जादू चलाया कि ‘हीरोपंती’ उस वर्ष की सफल फिल्मों में शामिल हो गयी। और इस तरह हिंदी फिल्मों को टाइगर के रूप में एक और स्टार अभिनेता मिल गया।
पृष्ठभूमि
फ़िल्मी पृष्ठभूमि में पले-बढ़े होने के बावजूद कभी स्टार-सन होने का गुरुर उनमें नहीं आया। इसकी वजह उनकी परवरिश है। पिता जैकी श्रॉफ के बिंदास व्यक्तित्व की छत्रछाया में टाइगर का बचपन बीता। टाइगर का मौलिक नाम जय हेमन्त श्रॉफ़ है। मुम्बई के अमेरिकन स्कूल ऑफ बॉम्बे और एमिटी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद टाइगर ने फिल्मों में प्रवेश के लिए खुद पर मेहनत करना शुरू किया। मार्शल आर्ट में टाइगर की विशेष रुचि है। जिम्नास्टिक में भी वे पारंगत हैं। जिम्नास्टिक पृष्ठभूमि होने के कारण वे हमेशा चुस्ती-फुर्ती और ऊर्जा से भरे रहते हैं।
प्रवेश
हिंदी फिल्मों में प्रवेश के लिए टाइगर काफी पहले से तैयार थे, इसलिए उनके डेब्यू को लेकर कयासों का बाज़ार अर्से से गर्म था। कभी कहा गया कि टाइगर धारावाहिक ‘फौजी’ के रीमेक से डेब्यू करेंगे, तो कभी सुभाष घई के ‘हीरो’ के रीमेक से टाइगर के डेब्यू की बात कही गयी।..मगर टाइगर ने अपनी डेब्यू फ़िल्म के रूप में साजिद नाडियाडवाला की ‘हीरोपंती’ को चुना। पहली ही फ़िल्म में टाइगर ने अभिनय, नृत्य और एक्शन का ऐसा जादू चलाया कि ‘हीरोपंती’ उस वर्ष की सफल फिल्मों में शामिल हो गयी। और इस तरह हिंदी फिल्मों को टाइगर के रूप में एक और स्टार अभिनेता मिल गया।
प्रेरणा
पापा जैकी श्रॉफ को टाइगर अपने जीवन की प्रेरणा मानते हैं, मगर फ़िल्मी फ्रंट पर उनकी प्रेरणा कोई और है। जहां तक एक्शन की बात है, तो टाइगर अपने प्रिय जैकी चैन से प्रेरित होते हैं। वह बताते हैं-जैकी चैन मेरी प्रेरणा हैं। मुझे ऐसा लगता है कि मैं उनका एक प्रतिशत भी नहीं हूं। मैं एक्शन दृश्यों में रचनात्मकता के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूं।’ अक्षय कुमार से भी टाइगर बेहद प्रभावित हैं। वह कहते हैं-मुझे अक्षय सर ने साफ शब्दों में कहा है कि कोई भी ऐसा स्टंट मत करना, जिससे तुम्हारी सेहत का जोखिम खड़ा हो जाए। मैं उनकी बात पर अमल करता हूं। सच कहूं तो मुझे अक्षय सर से काफी प्रेरणा मिलती है।’ …मगर सही मायने में टाइगर के आदर्श रितिक रोशन हैं। वह कहते हैं-फिल्म-जगत में रितिक सर मेरे आदर्श हैं। मैं उनके जैसा करिअर ग्राफ बनाना चाहता हूं। जब भी मैं उनसे मिला तो मुझे लगा कि मैं उनके ही जैसा हूं, क्योंकि काम में वह हर छोटी से छोटी चीज पर ध्यान देते हैं, छोटी-छोटी बातों पर तनाव लेते हैं। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा। मैं उनके क्राफ्ट की समझदारी, एक्शन और शरीर की भाषा का बहुत सम्मान करता हूं।’
प्रशंसा
टाइगर श्रॉफ ने अपनी मेहनत, लगन और हुनर के बल पर हिंदी फ़िल्मी दुनिया में अपने लिए अलग जमीन तलाश ली है। वे अपनी पीढ़ी के अभिनेताओं में शुमार तो हैं, मगर एक अलग पहचान के साथ। उनके प्रशंसकों में बाल दर्शकों की संख्या अधिक है। बच्चे अपने प्रिय टाइगर के स्टंट, डांस और बाल-सुलभ व्यक्तित्व के प्रशंसक हैं। अपने सुलझे और शांत व्यवहार के कारण निर्माता-निर्देशकों के भी पसंदीदा कलाकारों की सूची में टाइगर शुमार हैं। अपनी फिटनेस और अनुशासित जीवनशैली के कारण भी टाइगर सराहे जाते हैं। टाइगर की प्रशंसा में जॉन अब्राहम कहते हैं-मैं टाइगर की स्वस्थ जीवन शैली और सक्रियता का प्रशंसक हूं। वह उत्सुक, मेहनती, उत्साही हैं।’ सराहना और प्रशंसा ने टाइगर को और शांत और सहज बना दिया है। वह कहते हैं-मुझे लगता है कि यह सब मैंने पापा से सीखा है। सब जानते हैं कि पापा की फर्स्ट फिल्म जब रिलीज हुई, उसके बाद भी वह चॉल में रहते थे। उनके रहने और बातचीत में कोई बदलाव नहीं आया है। आज वह इतने बड़े स्टार हैं लेकिन उन्होंने अपनी वास्तविकता नहीं खोई है। तो मैं भी मानता हूं कि मैं सफलता को अपने सिर पर नहीं चढ़ने दूंगा। मैं अपने पापा से बहुत प्रेरित हूं।’
श्रद्धा की नजर में
टाइगर जैसा कोई हो ही नहीं सकता। ‘बागी’ की शूट के दौरान उन्होंने मेरा काफी मनोबल बढ़ाया। इतना ही नहीं, फिल्म में टाइगर के साथ काम कर के काफी मदद मिली और कई टिप्स भी मिले जो मेरे लिए काफी मददगार साबित हुए। मुझे याद है स्कूल के दौरान टाइगर बास्केटबॉल खेलते थे और वे काफी एनर्जेटिक और फोकस्ड रहते थे। फिल्म की शूटिंग के दौरान भी उनकी गंभीरता मुझे साफ देखने को मिली।
टाइगर उवाच
अगर आप अपनी जिंदगी में रिस्क नहीं लेते हैं तो फिर जीने का क्या मजा है? अगर आप सही रिस्क लेते हैं और उसमें सक्सेसफुल होते हैं तो फिर जिंदगी और मजेदार हो जाती है। एक एक्टर के तौर पर मैं अपने रोल के साथ रिस्क लेना पसंद करता रहूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि इसी वजह से मैं ग्रोथ भी कर पाऊंगा।
पापा जैकी श्रॉफ को टाइगर अपने जीवन की प्रेरणा मानते हैं, मगर फ़िल्मी फ्रंट पर उनकी प्रेरणा कोई और है। जहां तक एक्शन की बात है, तो टाइगर अपने प्रिय जैकी चैन से प्रेरित होते हैं। वह बताते हैं-जैकी चैन मेरी प्रेरणा हैं। मुझे ऐसा लगता है कि मैं उनका एक प्रतिशत भी नहीं हूं। मैं एक्शन दृश्यों में रचनात्मकता के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूं।’ अक्षय कुमार से भी टाइगर बेहद प्रभावित हैं। वह कहते हैं-मुझे अक्षय सर ने साफ शब्दों में कहा है कि कोई भी ऐसा स्टंट मत करना, जिससे तुम्हारी सेहत का जोखिम खड़ा हो जाए। मैं उनकी बात पर अमल करता हूं। सच कहूं तो मुझे अक्षय सर से काफी प्रेरणा मिलती है।’ …मगर सही मायने में टाइगर के आदर्श रितिक रोशन हैं। वह कहते हैं-फिल्म-जगत में रितिक सर मेरे आदर्श हैं। मैं उनके जैसा करिअर ग्राफ बनाना चाहता हूं। जब भी मैं उनसे मिला तो मुझे लगा कि मैं उनके ही जैसा हूं, क्योंकि काम में वह हर छोटी से छोटी चीज पर ध्यान देते हैं, छोटी-छोटी बातों पर तनाव लेते हैं। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा। मैं उनके क्राफ्ट की समझदारी, एक्शन और शरीर की भाषा का बहुत सम्मान करता हूं।’
प्रशंसा
टाइगर श्रॉफ ने अपनी मेहनत, लगन और हुनर के बल पर हिंदी फ़िल्मी दुनिया में अपने लिए अलग जमीन तलाश ली है। वे अपनी पीढ़ी के अभिनेताओं में शुमार तो हैं, मगर एक अलग पहचान के साथ। उनके प्रशंसकों में बाल दर्शकों की संख्या अधिक है। बच्चे अपने प्रिय टाइगर के स्टंट, डांस और बाल-सुलभ व्यक्तित्व के प्रशंसक हैं। अपने सुलझे और शांत व्यवहार के कारण निर्माता-निर्देशकों के भी पसंदीदा कलाकारों की सूची में टाइगर शुमार हैं। अपनी फिटनेस और अनुशासित जीवनशैली के कारण भी टाइगर सराहे जाते हैं। टाइगर की प्रशंसा में जॉन अब्राहम कहते हैं-मैं टाइगर की स्वस्थ जीवन शैली और सक्रियता का प्रशंसक हूं। वह उत्सुक, मेहनती, उत्साही हैं।’ सराहना और प्रशंसा ने टाइगर को और शांत और सहज बना दिया है। वह कहते हैं-मुझे लगता है कि यह सब मैंने पापा से सीखा है। सब जानते हैं कि पापा की फर्स्ट फिल्म जब रिलीज हुई, उसके बाद भी वह चॉल में रहते थे। उनके रहने और बातचीत में कोई बदलाव नहीं आया है। आज वह इतने बड़े स्टार हैं लेकिन उन्होंने अपनी वास्तविकता नहीं खोई है। तो मैं भी मानता हूं कि मैं सफलता को अपने सिर पर नहीं चढ़ने दूंगा। मैं अपने पापा से बहुत प्रेरित हूं।’
श्रद्धा की नजर में
टाइगर जैसा कोई हो ही नहीं सकता। ‘बागी’ की शूट के दौरान उन्होंने मेरा काफी मनोबल बढ़ाया। इतना ही नहीं, फिल्म में टाइगर के साथ काम कर के काफी मदद मिली और कई टिप्स भी मिले जो मेरे लिए काफी मददगार साबित हुए। मुझे याद है स्कूल के दौरान टाइगर बास्केटबॉल खेलते थे और वे काफी एनर्जेटिक और फोकस्ड रहते थे। फिल्म की शूटिंग के दौरान भी उनकी गंभीरता मुझे साफ देखने को मिली।
टाइगर उवाच
अगर आप अपनी जिंदगी में रिस्क नहीं लेते हैं तो फिर जीने का क्या मजा है? अगर आप सही रिस्क लेते हैं और उसमें सक्सेसफुल होते हैं तो फिर जिंदगी और मजेदार हो जाती है। एक एक्टर के तौर पर मैं अपने रोल के साथ रिस्क लेना पसंद करता रहूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि इसी वजह से मैं ग्रोथ भी कर पाऊंगा।
अब तक फ़िल्में
हीरोपंती
बागी
फ्लाइंग जट
हीरोपंती
बागी
फ्लाइंग जट
आने वाली फ़िल्में
मुन्ना माइकल
रैम्बो
स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर 2
बागी 2
मुन्ना माइकल
रैम्बो
स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर 2
बागी 2
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